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बाइडेन के डेट सीलिंग वाले बयान के बाद बजट पर जल्द समझौते की बढ़ी उम्मीद , रिपब्लिकन्स के साथ बातचीत शुरू

Aniruddh pratap singh
लोग जानते हैं कि अमेरिका के डिफाल्ट होने का मतलब बहुत गंभीर है। अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो यह अमेरिका के लिहाज से तो खराब है ही, इसके नकारात्मक प्रभाव सभी देशों पर असर डालेंगे। अमेरिका के डिफाल्ट करने की वजह से एक बार फिर वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो सकता है।

राज एक्सप्रेस । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने डेट सीलिंग पर हाल ही में कहा था कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक सांसदों के बीच इस मुद्दे पर गतिरोध खत्म होने वाला है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दावा किया कि अमेरिका कर्ज अदायगी में चूक नहीं करेगा। आपको बता दें कि अमेरिका को 5 जून तक कर्ज अदायगी करनी है जिसकी तारीख पहले एक जून बताई गई थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन के दोनों पार्टियों के बीच गतिरोध खत्म होने वाले बयान के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका डेट सीलिंग के बजट पर समझौता कर सकता है और कर्ज की सीमा को बढ़ा सकता है। दोनों पार्टियों के बीच इस मुद्दे को लेकर बातचीत जारी है।

डिफॉल्ट से बचने का एक ही बचा रास्ता

राष्ट्रपति जो बाइडेन के डेट सीलिंग वाले बयान के बाद बजट पर जल्द समझौता होने की संभावना पैदा हो गई है। इस समझौते के बाद उम्मीद है कि अमेरिका तय कर्ज सीमा से अधिक लोन ले। इस बढ़े हुए कर्ज से वह पुराने कर्ज को चुकाकर डिफॉल्ट होने से बच सकता है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के डिफाल्ट होने का मतलब बहुत गंभीर है। अगर यूएस डिफॉल्ट करता है तो यह अमेरिका के लिहाज से तो खराब है ही, इस स्थिति में पूरी दुनिया को नुकसान उठाना पड़ेगा। पूरी दुनिया में एक बार फिर से वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो सकता है। इसके दुष्परिणाम किसी न रूप में सभी देशों को भुगतने पड़ेंगे।

कर्ज की सीमा बढ़ाना ही एकमात्र उपाय

अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी जैनेट येलन ने कहा कि यूएस के पास पैसे खत्म होने की एक्स-डेट अब बढ़कर 5 जून हो गई है, जो पहले एक जून थी। उन्होंने आगाह किया कि इसका मतलब यह नहीं की मामले की गंभीरता खत्म हो गई है। पैसे की कमी के कारण अमेरिकी सरकार किस तारीख को डिफॉल्ट करेगी, उसे ही आमतौर पर एक्स-डेट कहा जाता है। जेनेट येलेन ने साफ-साफ कहा अगर अमेरिकी सरकार एक्स-डेट तक बजट पर कोई हल नहीं निकाल पाती है तो अमेरिकी लोग परेशानी में पड़ सकते हैं। हालात को देखते हुए कह सकते हैं कि फिलहाल अमेरिका के पास डिफॉल्ट से बचने का एकमात्र विकल्प कर्ज सीमा को बढ़ाना है।

रिपब्लिकन्स माने तभी दूर हो सकता है संकट

कर्ज की सीमा को बढ़ाने के लिए सबसे पहली और बड़ी मुश्किल यह है कि अमेरिका की दोनों सदनों में इस प्रस्ताव को पास करना होगा। प्रस्ताव को पास करवाने के लिहाज से देखा जाए तो जो बाइडन की पार्टी के पास सिर्फ एक ही सदन में बहुमत है, जबकि दूसरे सदन में रिपब्लिकन पार्टी के पास बहुमत है। इस स्थिति में सरकार अपनी दम पर इस प्रस्ताव को पास कराने की स्थिति में नहीं है। इस मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने के लिए इस वक्त राजनीति से उपर उठकर विपक्षी दल के सदस्य इस प्रसत्वा पर समर्थन दें, तभी बाइडेन सरकार संकट से बाहर निकल सकती है। बाइडेन सरकार इस मुद्दे को राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए विपक्षी रिपब्लिकन्स को इस मुद्दे पर मनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके प्रयास कितने सफल होते हैं, इसी से तय होगा कि अमेरिका मौजूदा संकट से किस मात्रा में प्रभावित होगा या नहीं।

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