पीएसयू बैंकों ने सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी के नीचे लाने की योजना बनाई
12 पीएसयू बैंकों में से चार 31 मार्च तक पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन कर चुके
वित्तीय सेवा सचिव ने बताया तीन और पीएसयू बैंकों ने शेयर होल्डिंग का पालन पूरा किया
राज एक्सप्रेस । वित्तीय सेवा विभाग के सचिव विवेक जोशी ने बताया कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग मानदंडों का पालन करने के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और यूको बैंक सहित 5 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 75 फीसदी के नीचे लाने की योजना बनाई है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. जोशी एक नवंबर 2022 से वित्तमंत्रालय के अधीन आने वाले वित्तीय सेवा विभाग में के सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इस कार्य में, वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों, वित्तीय समावेशन और पेंशन सुधारों सहित बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित नीतियों, योजनाओं और कानूनों से निपट रहे हैं।
वरिष्ठ नौकरशाह जोशी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 12 बैंकों में से चार 31 मार्च 2023 तक पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन कर चुके हैं। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में तीन और सर्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने न्यूनतम 25 प्रतिशत पब्लिक शेयर होल्डिंग नियम का पालन पूरा कर लिया है। बाकी बचे 5 बैंकों ने भी सेबी के मानदंडों को पूरा करने की योजना बनाई हैं।
इस समय दिल्ली स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 प्रतिशत है। चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 प्रतिशत सरकार की हिस्सेदारी है। सेबी के अनुसार सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन करना जरूरी होता है। हालांकि, बाजार नियामक ने सरकारी बैंकों को अगस्त तक की विशेष छूट दी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम को पूरा करने के लिए अगस्त 2024 तक का समय है। विवेक जोशी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास हिस्सेदारी कम करने के लिए कई विकल्प हैं। जिनमें एफपीओ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की स्थिति को देखते हुए ये बैंक शेयरधारकों के हित में निर्णय लेंगे।
समयसीमा बताए बिना उन्होंने कहा कि बैंक इस जरूरी शर्त को पूरा करने के प्रयास कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा करने का निर्देश दिया है, क्योंकि सरकार के पास नियामकीय मानदंडों का पालन नहीं किए जाने के मामले सामने आए हैं। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे गोल्ड लोन से संबंधित अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं पर गौर करने के लिए कहा है।
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