राज एक्सप्रेस। गुड्स एंड सर्विस टैक्स आईडेंटीफिकेशन नंबर (जीएसटीएन) या हिंदी में माल एवं सेवा कर पहचान संख्या से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्यों के भीतर और राज्यों के भीतर माल ले जाने के लिए विभिन्न व्यवसायों द्वारा जुटाए गए इलेक्ट्रॉनिक परमिट यानी ई-वे बिल मार्च में रिकॉर्ड 9.09 करोड़ जारी किए गए हैं, जो वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में मजबूत आर्थिक गतिविधियों का संकेत देते हैं। आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी विभिन्न व्यवसायों की सप्लाई चेन में बढ़ोतरी की ओर इशारा करती हैं। जीएसटीएन डेटा से पता चलता है कि राज्यों के भीतर माल शिपमेंट के लिए मार्च में 5.78 करोड़ ई-वे बिल और अंतर-राज्य शिपमेंट के लिए 3.3 करोड़ परमिट बनाए गए थे। यह फरवरी में जारी किए गए कुल ई-वे बिलों की तुलना में 11 फीसदी की उछाल है।
विशेषज्ञों के अनुसार मार्च में 90 मिलियन से अधिक ई-वे बिल और मार्च में 1.6 ट्रिलियन रुपये का राजस्व एकत्र किया गया है। फरवरी की बिक्री जो अप्रैल 2022 के बाद से दूसरी उच्चतम जीएसटी राजस्व प्राप्तियां हैं। इसने दो चीजों का संकेत मिलता है। पहला विभिन्न कारोबारी संस्थान, साल के अंत में बिक्री लक्ष्यों को प्राप्त करने और ऑर्डर को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। यह जारी किए गए ई-वे बिलों की संख्या में स्पष्ट है। दूसरा, जीएसटी मोबाइल दस्ते द्वारा कड़े उपाय किए गए हैं, ताकि डिफॉल्टरों पर अंकुश लगाया जा सके। उल्लेखनीय है कि ई-वे बिल डेटा केवल 50,000 रुपए से अधिक मूल्य की शिपिंग कंसाइनमेंट के लिए जेनरेट परमिट को इंगित करता है। सभी परमिट का क्यूमुलेटिव मूल्य या टैक्स रेवेन्यू, परमिट की संख्या से पता नहीं किया जा सकता है।
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