Rahul Bajoria senior economist at Barclays
व्यापार

चीन से मुकाबले के लिए 8 % ग्रोथ जरूरी, बार्कलेज ने बताया भारत को इन सेक्टर्स में बढ़ाना होगा निवेश

चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देता है। बार्कलेज पीएलसी ने कहा भारत को उससे आगे निकलने के लिए प्रति वर्ष 8 प्रतिशत बढ़ोतरी की जरूरत है।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत से 10 फीसदी ज्यादा है चीन की हिस्सेदारी

  • भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अपना खर्च बढ़ाया है

  • मार्च 2024 तक रिकॉर्ड 10 ट्रिलियन यानी 10 लाख करोड़ का आवंटन किया

  • 2005 से लेकर 2010 तक देश की इकोनामी में 8 प्रतिशत की दर से बढोतरी

राज एक्सप्रेस। बार्कलेज पीएलसी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि भारत को चीन से आगे निकलने के लिए अपने कई क्षेत्रों पर गौर करने की जरूरत है। भारत की अर्थव्यवस्था को चीन से आगे निकलने के लिए प्रति वर्ष 8 प्रतिशत बढ़ोतरी की जरूरत है। बार्कलेज पीएलसी ने कहा कि चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देता है। उसे पछाड़ने के लिए भारत को काफी ज्यादा निवेश की जरूरत है। विशेष रूप से परंपरागत क्षेत्र में निवेश की। बार्कलेज का यह बयान ऐसे समय आया है, जब आज यानी 10 अक्टूबर को आईएमएफ ने अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत का हवाला देते हुए भारत के चालू साल के ग्रोथ अनुमान को 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।

बार्कलेज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा दक्षिण एशियाई देशों को माइनिंग, ट्रांसपोर्ट, यूटिलिटीज और स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए फोकस करना चाहिए। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनका अर्थव्यवस्था पर मजबूत असर दिखाई देगा। बार्कलेज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री बाजोरिया ने कहा कि हाल के सालों में टेलीकम्युनिकेशन और डिजिटल सेक्टर जैसे नए उद्योगों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। इससे परंपरागत क्षेत्रों में निवेश कम हो गया है। उन्होंने कहा सरकार की ओर से इन क्षेत्रों में ज्यादा निवेश किया जाना चाहिए। ताकि वे अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि पारंपरिक क्षेत्रों में ज्यादा निवेश का रोजगार और घरेलू आय पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

बाजोरिया ने कहा गौर करने की बात है कि 2005 से लेकर 2010 तक देश की अर्थव्यवस्था औसतन 8 प्रतिशत की गति से बढ़ी है। अगर देश की सरकार व्यापक आर्थिक स्थिरता का ध्यान रखते हुए ऐसा करने की पहल करती है तो अगले साल के आम चुनाव के बाद यह अपनी उसी रफ्तार की ओर फिर से लौट सकती है, जैसा कि बार्कलेज ने पिछले माह एक अलग रिपोर्ट में उल्लेख किया था। यदि ऐसा किया गया कि भारत वैश्विक ग्रोथ में सबसे बड़ा योगदानकर्ता के रूप में सामने आएगा और चीन के साथ अपने अंतर को कम करने की स्थिति में होगा।

बाजोरिया ने आईएमएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए, कहा 2028 तक पांच साल की अवधि में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चीन का योगदान लगभग 26% अनुमानित है। इस अवधि में, 6.1% की जीडीपी की वृद्धि दर के आधार पर भारत का योगदान 16% अनुमानित है। बार्कलेज के अनुसार, अगर भारत अपने योगदान में 8 प्रतिशत की वृद्धि करने में सफल होता है तो तय है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसका योगदान चीन के करीब पहुंच जाएगा।

उन्होंने कहा भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में ढांचागत परियोजनाओं पर अपना खर्च बढ़ाया है और चालू वित्त वर्ष में मार्च 2024 तक रिकॉर्ड 10 ट्रिलियन यानी 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 3.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करने की कोशिश कर रहे हैं। बार्कलेज ने कहा सरकार के कैपिटल प्रोडक्ट में निवेश की मजबूत गति को बनाए रखने की संभावना नहीं है, इसका मतलब है कि निजी क्षेत्र को भी इसमें सहयोग करना होगा।

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