हाइलाइट्स
Covid-19 का संकट
नौकरियां लगीं दांव पर
1 करोड़ से ज्यादा बेरोजगार
राज एक्सप्रेस। भारत में कोरोना वायरस डिजीज उन्नीस (covid-19) के कारण ऐहतियातन लागू लॉकडाउन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इस कारण एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने नौकरी गंवा दी है।
अध्ययन में खुलासा -
एक अध्ययन के मुताबिक 1 करोड़ 90 लाख से अधिक लोगों को इस वजह से नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। सिर्फ जुलाई में तकरीबन 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (Centre for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार वेतनभोगी कुल 19 मिलियन नौकरी पेशा वर्ग को कोरोना महामारी के कारण नौकरी गंवानी पड़ी। दरअसल कोविड-19 के कारण देश का कारोबार छिन्न-विछिन्न हो चुका है। कारखाने बंद हैं। जो चालू हैं वहां गिने-चुने लोग काम पर आ रहे हैं।
वेतन पर आधारित वर्ग -
आपको ज्ञात हो भारत में कुल 21 फीसदी से अधिक लोग वेतन भोगी काम पर निर्भर हैं। लॉक डाउन और सामाजिक दूरी के नियमों के कारण रोजगार के कारकों में बड़ा बदलाव आया है। इस कारण भी यह हालात पैदा हुए।
GDP पर असर -
ज्ञात हो वेतनभोगी लोगों की नौकरी का भारत की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान है। मार्च माह में लागू लॉकडाउन के बाद अप्रैल में 17.7 मिलियन की नौकरियों पर संकट पैदा हुआ। फिर जुलाई महीने में जब सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में रियायत की तो भी कामकाज पटरी पर नहीं लौटा। उलट नौकरियां चली गईं।
ताजा हासिल आंकड़ों के अनुसार जुलाई में 5 मिलियन से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ गया। 23 मार्च से लागू लॉकडाउन के कारण भारत की जीडीपी की पहली तिमाही में गिरावट दर्ज की गई। आशंका है कि दूसरे क्वार्टर में भी यह जारी रहेगी।
वायरस का दंश -
कोविड-19 त्रासदी के दुष्परिणाम भारत में धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। व्यापार से लेकर अर्थव्यवस्था तक इस बीमारी की चपेट में है। इन कारकों के प्रभावित होने से रोजगार भी काफी हद तक प्रभावित हुआ है।
कितना समय –
अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस (रोजगार संकट) विपदा से उबरने में भारत को फिलहाल तीन से चार महीनों का समय लग सकता है। उम्मीद है इतने दिनों में महामारी का इलाज दुनिया के देश खोज लेंगे। यह वक्त (रोजगार बहाली का) और लंबा हो सकता है जब तक कि कोरोना की दवा ईजाद और वितरित नहीं हो जाती।
छंटनी होती रहेगी –
जानकारों का कहना है कि कोविड-19 से उपजे हालातों पर काबू नहीं पाया गया तो छोटे कारोबार के बाद मंझले कारोबारों और फिर बड़े संगठनों में भी बड़ी संख्या में छंटनी हो सकती है। यह निर्भर करेगा कि कब दवा ईजाद होती है।
भारत में दवा -
आयुर्विज्ञान में सिरमौर भारत से उम्मीद जताई जा रही थी कि वो कोविड-19 का उपचार ढूंढ़ने में मददगार साबित होगा। पतंजलि ने शुरुआती उम्मीदें जताईं फिर कंपनी पीछे हट गई। बेरोजगारी के हल की बात करें तो इसका हल दवा के ईजाद होने और उसके सर्व सुलभ होने पर तय करेगा।
सरकारी उपाय –
मई 2020 में भारत की केंद्रीय सरकार ने विविध सेक्टर्स के लिए 20 लाख करोड़ रुपयों का रिलीफ पैकेज जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद नौकरियों का संकट बरकरार है। अर्थव्यवस्था पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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