राज एक्सप्रेस । नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) निजी क्षेत्र की संकटग्रस्त विमानन कंपनी गो फर्स्ट को किराए पर विमान देने वाली 3 कंपनियों की याचिका पर 5 जून को सुनवाई करेगा। इन तीन कंपनियों ने अपनी याचिका में बकाये का भुगतान नहीं करने पर कैश संकट से जूझ रही गो फर्स्ट को किराए पर दिए गए विमानों को वापस दिलाने की मांग की है। किराए पर विमान देने वाली कंपनी को लेसर (Lessor) कहा जाता है। इस बीच बीओसी एविएशन (आयरलैंड) लिमिटेड ने सप्ताह के दौरान एक एप्लिकेशन दायर की है। वहीं, जैक्सन स्क्वायर एविएशन आयरलैंड लिमिटेड और इंजन लीज फाइनेंस बीवी ने एनसीएलटी में नई दलीलें दायर की हैं।
बीओसी एविएशन के आवेदन को सप्ताह के दौरान दो बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया था, लेकिन पीठ के पास समय की कमी होने की वजह से इसे नहीं लिया जा सका। मामले को 5 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले NCLT ने 22 मई के आदेश में गो फर्स्ट की इनसॉल्वेंसी की याचिका को सही माना था। एनसीएलएटी ने एनसीएलटी को उसके (NCLAT) किसी ऑब्जर्वेशंस के प्रभाव में आए बगैर लेसर्स और आईआरपी के अप्लिकेशंस पर फैसला देने के कहा था। कई लेसर्स ने इनसॉल्वेंसी के गो फर्स्ट के कदम का विरोध किया है। उन्होंने इनसॉ्ल्वेंसी अप्लिकेशन को एडमिट करने के एनसीएलटी के फैसले को चुनौती दी है। इनमें एसएमबीसी एविएशन कैपिटल, एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स और जीवाई एविएशन लीज शामिल हैं।
लेजर्स ने एनसीएलटी में दलील दी है कि गो फर्स्ट उन विमानों को अपने पास रखने के लिए इनसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स का इस्तेमाल कर रही है, जो उसके नहीं हैं। एनसीएलटी की दिल्ली बेंच ने 10 मई को इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करने के लिए गो फर्स्ट की याचिका मंजूर कर ली थी। ट्रिब्यूनल ने कंपनी को बोर्ड को निलंबित करते हुए एक आईआरपी नियुक्त कर दिया था। उसने गो फर्स्ट के कर्ज पर भी मोरेटोरियम लगा दिया था। गो फर्स्ट की शुरुआत मशहूर उद्योगपति नुसली वाडिया ने की थी। पहले इसका नाम गो एयर था। इसने 2 मई को इनसॉल्वेंसी के लिए याचिका दी थी। इसने अपनी खराब आर्थिक स्थिति के लिए अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी प्रैट एंड ह्विटनी (पीएंडडब्ल्यू) को जिम्मेदार बताया था। उसने कहा था कि कंपनी के इंजन की सप्लाई नहीं करने की वजह से उसके आधे से ज्यादा विमानों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। गो फर्स्ट पर करीब 11,000 करोड़ रुपये की लायबिलिटी है।
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